PM PKVY Yojana 2025: किसानों के लिए खुशखबरी! प्रति हेक्टेयर ₹31,500 की मदद, जानिए कैसे मिलेगा लाभ

भारत में खेती सिर्फ जीविका नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा का हिस्सा रही है। लेकिन पिछले कुछ दशकों में chemical fertilizers और pesticides के अत्यधिक इस्तेमाल ने न केवल मिट्टी की सेहत पर असर डाला, बल्कि पर्यावरण को भी कमजोर कर दिया। इसी स्थिति को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने दो ऐसी योजनाएं शुरू की हैं जो खेती को फिर से “organic” दिशा में ले जा रही हैं—परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) और मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्टर्न रीजन (MOVCDNER)

परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY)

PKVY को आप देश के कृषि पुनरुद्धार की दिशा में बढ़ाया गया एक बड़ा कदम मान सकते हैं। इसका लक्ष्य सिर्फ खेती के तरीके बदलना नहीं, बल्कि किसानों को बेहतर जीवन देना है। इस योजना के तहत किसानों को तीन वर्षों की अवधि में प्रति हेक्टेयर ₹31,500 की आर्थिक सहायता मिलती है। इसमें से ₹15,000 की राशि सीधे DBT (Direct Benefit Transfer) के जरिए उनके बैंक खातों में भेजी जाती है।

किसान इस राशि से organic seeds, जैविक खाद, bio-pesticides और अन्य प्राकृतिक इनपुट्स खरीद सकते हैं। योजना की सबसे खास बात यह है कि इसमें क्लस्टर-बेस्ड खेती को बढ़ावा दिया जाता है — यानी करीब 20 हेक्टेयर के क्षेत्र में किसानों का एक समूह बनाया जाता है ताकि संसाधनों का सामूहिक उपयोग हो और खर्च कम हो।
इस पूरे मॉडल में लघु व सीमांत किसानों को प्राथमिकता दी जाती है। योजना सिर्फ उत्पादन तक सीमित नहीं है — इसमें प्रसंस्करण, प्रमाणन और मार्केटिंग तक की मदद शामिल है ताकि organic produce किसानों तक ज्यादा मूल्य लेकर पहुंचे।

MOVCDNER योजना

पूर्वोत्तर भारत हमेशा से अपनी प्राकृतिक समृद्धि और स्वच्छ पर्यावरण के लिए जाना जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने MOVCDNER (Mission Organic Value Chain Development for North Eastern Region) शुरू की। यह योजना पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को organic farming अपनाने और अपनी आय बढ़ाने का अवसर देती है।

इस योजना में किसानों को तीन साल की अवधि में प्रति हेक्टेयर ₹46,500 दिए जाते हैं। इसमें से ₹32,500 किसानों के जैविक इनपुट्स — जैसे compost, bio-fertilizer, organic manure आदि — पर खर्च होते हैं, जबकि ₹15,000 की राशि सीधे उनके खातों में ट्रांसफर की जाती है।
इस योजना की backbone हैं Farmer Producer Organizations (FPOs)। इनके ज़रिए किसान collective तरीके से अपने प्रोडक्ट को बेहतर दाम पर बेच सकते हैं और value chain का हिस्सा बन सकते हैं — production से लेकर processing और marketing तक।

दोनों योजनाओं में क्या फर्क है?

नीचे तालिका के रूप में अंतर देखा जा सकता है:

पहलूपरम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY)MOVCDNER योजना
लागू क्षेत्रपूरे भारत में (पूर्वोत्तर को छोड़कर)केवल पूर्वोत्तर भारत
वित्तीय सहायता₹31,500 प्रति हेक्टेयर / 3 वर्ष₹46,500 प्रति हेक्टेयर / 3 वर्ष
DBT के तहत राशि₹15,000₹15,000
प्रमुख फोकसक्लस्टर आधारित खेतीकिसान उत्पादक संगठन (FPO)
प्राथमिक लाभार्थीलघु और सीमांत किसानपूर्वोत्तर क्षेत्र के किसान
अवधि3 वर्ष3 वर्ष

क्यों जरूरी है जैविक खेती की यह दिशा

आज जब पर्यावरण असंतुलन, मिट्टी की क्षति और जल संकट जैसी चिंताएँ बढ़ रही हैं, तब organic farming केवल एक विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता बन चुकी है। इन योजनाओं से किसानों को दोहरा फायदा होता है — एक ओर chemical लागत कम होती है, दूसरी ओर organic उत्पादों की बाजार में मांग बढ़ने से अच्छी कमाई होती है।

इसके अलावा, मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, पानी की गुणवत्ता बेहतर होती है और खेतों में प्राकृतिक संतुलन लौट आता है। सबसे बड़ी बात — अगली पीढ़ियों के लिए यह भूमि स्वस्थ और उपजाऊ बनी रहती है।

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