
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, सरकार हर किसी की निजी संपत्ति को जबरदस्ती अधिग्रहित नहीं कर सकती है, यह केवल कुछ खास मामलों में, विशेष परिस्थितियों में और सार्वजनिक हित के लिए ही किया जा सकता है, जिसके लिए उचित कानूनी प्रक्रिया और मुआवजा देना अनिवार्य है।
क्या है नया नियम और बदलाव
हाल के बदलाव मुख्य रूप से संपत्ति के पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) और भूमि रिकॉर्ड को आधुनिक बनाने पर केंद्रित हैं:
- सरकार ने संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया को ऑनलाइन और डिजिटल बनाने के लिए “पंजीकरण विधेयक 2025” (Registration Bill 2025) का प्रस्ताव किया है। इसका उद्देश्य धोखाधड़ी को कम करना और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है।
- सभी भूमि रिकॉर्ड को डिजिटाइज़ किया जा रहा है, जिससे स्वामित्व को छेड़छाड़-मुक्त (tamper-proof) बनाने और विवादों को कम करने में मदद मिलेगी।
- नए नियमों में घर खरीदारों के लिए मजबूत कानूनी सुरक्षा उपाय शामिल हैं, जैसे कि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (RERA) के तहत विवादों का त्वरित समाधान।
किन संपत्तियों पर सरकारी कब्जा हो सकता है?
सरकार निजी संपत्ति का अधिग्रहण केवल सार्वजनिक उद्देश्य के लिए कर सकती है, जैसे कि सड़क निर्माण, रेलवे, या अन्य जनहित परियोजनाएं।
- सरकार को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के तहत निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है, जिसमें संपत्ति मालिक को पर्याप्त मुआवजा और कुछ मामलों में पुनर्वास का अधिकार शामिल है।
- यदि किसी व्यक्ति ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया है, तो वह उसका मालिक नहीं बन सकता है, क्योंकि वह संपत्ति जनता की होती है। सरकार ऐसी जमीनों को वापस अपने कब्जे में ले सकती है।
सरकार मनमाने ढंग से निजी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकती है, नए नियम नागरिकों की संपत्ति के स्वामित्व को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।









