
यह जानकारी कि “वसीयत से जुड़े नए और कड़े कानून लागू हो गए हैं, जिनके तहत अब संपत्ति केवल कुछ विशिष्ट लोगों को ही दी जा सकेगी”, भ्रामक और निराधार है। भारत में संपत्ति के उत्तराधिकार से संबंधित कानूनों में हाल ही में कोई ऐसा बड़ा बदलाव नहीं हुआ है, जो किसी व्यक्ति के वसीयत करने के अधिकार को इस हद तक सीमित करता हो।
कानूनी स्थिति और मुख्य जानकारी
- भारत में वसीयत मुख्य रूप से भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 और संबंधित व्यक्तिगत कानूनों द्वारा शासित होती है। इन कानूनों में कोई नया व्यापक संशोधन नहीं किया गया है।
- एक व्यक्ति को अपनी स्वयं-अर्जित संपत्ति को अपनी इच्छानुसार किसी को भी वसीयत करने का पूरा अधिकार है, वह चाहे तो यह संपत्ति अपने कानूनी उत्तराधिकारियों को दे या किसी अन्य व्यक्ति, संस्था या यहां तक कि किसी अजनबी को भी दे सकता है।
पैतृक संपत्ति के मामले में कानून
- पैतृक संपत्ति के मामले में कानून अलग है, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005 के अनुसार, पैतृक संपत्ति में बेटे और बेटियों का जन्म से समान अधिकार होता है। इस हिस्से से उन्हें आसानी से वंचित नहीं किया जा सकता, हालांकि एक बार संपत्ति का बंटवारा हो जाने पर, व्यक्ति अपने हिस्से को वसीयत कर सकता है।
- वसीयत का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का उसकी इच्छा के अनुसार शांतिपूर्ण वितरण सुनिश्चित करना और परिवार के बीच संभावित कानूनी विवादों से बचना है।
ऐसी अफवाहों पर भरोसा न करें, भारत में संपत्ति वसीयत करने के मूल अधिकार में कोई बदलाव नहीं हुआ है, यदि आप वसीयत बनाना चाहते हैं, तो कानूनी विशेषज्ञों की सलाह लें और सुनिश्चित करें कि यह मौजूदा कानूनों के अनुसार विधिवत निष्पादित हो।









